राज्यपाल ने किया ‘मैं हूँ बेटी’ स्मारिका का विमोचन
लखनऊ । उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने राजभवन में राष्ट्रीय हिन्दी स्वास्थ्य पत्रिका ‘आरोग्य दर्पण’ की स्मारिका ‘मैं हूँ बेटी-2018’ का विमोचन किया। इस अवसर पर सदस्य विधान परिषद श्री राज बहादुर सिंह चन्देल, राज्यपाल के विशेष सचिव डाॅ0 अशोक कुमार, आयोजन समिति के अध्यक्ष राम प्रकाश वर्मा, संयुक्त सचिव श्री देवेन्द्र प्रताप सिंह, मुख्य सलाहकार डाॅ0 विनोद जैन, संरक्षक शिव मंगल जौहरी सहित समिति के अन्य सदस्यगण भी उपस्थित थे। आरोग्य दर्पण द्वारा ‘मैं हूँ बेटी कांफ्रेंस एवं एवार्ड’ का आयोजन गत 5 जुलाई को किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय,लखनऊ के कलाम सेन्टर में किया गया था जिसमें 10 राज्यों की 73 चयनित महिलाओं को अपने-अपने क्षेत्र में उत्कृष्ट सेवाओं के लिए सम्मानित किया गया था।
राज्यपाल ने इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि महिलाओं को सम्मान देना भारतीय संस्कृति की विशेषता रही है। शास्त्रों में कहा गया है कि जहां महिलाओं की पूजा होती है, वहां देवताओं का वास होता है। एक ओर जहां सांस्कृतिक क्षेत्र में लक्ष्मी, सरस्वती और सीता जैसी देवियां हैं, वहीं इतिहास में रानी लक्ष्मीबाई, जीजाबाई, बेगम हजरत महल जैसी वीरांगनाएं भी हैं। भारत की पहली महिला राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल, पहली महिला प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी तथा प्रदेश की पहली महिला राज्यपाल सरोजनी नायडू थीं। पूर्व राष्ट्रपति राधाकृष्णन ने कहा था कि एक बेटी के शिक्षित होने से पूरा परिवार शिक्षित होता है। इसके विपरीत एक पक्ष और है जैसे महिलाओं पर होने वाले अपराध, कन्या भ्रूण हत्या, दहेज उत्पीड़न या अन्य ऐसी खबरें जिन्हें समाचार पत्रों में देखकर दुःख होता है। महिला को माँ,बहन, पत्नी और बेटी के रूप में देखकर अच्छा लगता है, लेकिन फिर भी कुछ ऐसी समस्याएं हैं जिनके लिए समाज को संस्कारित करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि इस चित्र को समझने और बदलने का दायित्व समाज का है।
श्री नाईक ने कहा कि उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा प्रदेश है। विश्व के केवल तीन देश इण्डोनेशिया, अमेरिका और चीन आबादी की दृष्टि से उत्तर प्रदेश से बड़े हैं। महिला शिक्षा से बड़ा परिवर्तन आ सकता है। महिलाओं के प्रति होने वाले अपराधों को रोकने के लिए शिक्षा एक रामबाण उपाय है। उत्तर प्रदेश में महिला सशक्तीकरण का एक शुभ संकेत देखने को मिला है। गत वर्ष 2016-17 के दीक्षांत समारोह में 15.60 लाख उपाधियां वितरित की गई, जिनमें7.98 लाख यानि 51 प्रतिशत उपाधि छात्राओं को मिली। उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए 66 प्रतिशत छात्राओं ने स्वर्ण, रजत एवं कांस्य पदक प्राप्त किए हैं। यह बदलता हुआ चित्र पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा शुरू किए गए ‘सर्व शिक्षा अभियान’ तथा वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ योजना का नतीजा है। पूर्व में शिक्षित महिलाएं केवल शिक्षिका या नर्स की नौकरी करती थीं। समय बदल रहा है बेटियां प्रशासनिक, पुलिस, सेना आदि की सेवाओं में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रही हैं। इंजीनियरिंग और पायलेट जैसे जोखिम भरे कार्यों को भी बेटियां सफलतापूर्वक अंजाम दे रही हैं। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र की बेटियों को भी आगे बढ़ाने, उन्हें शिक्षित करने और रोजगार से जोड़ने के लिए प्रयास किए जाने चाहिए।
विधान परिषद के सदस्य राज बहादुर सिंह चन्देल ने कहा कि बेटियां हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही है। पुलिस, प्रशासनिक, न्यायिक या राजनैतिक क्षेत्र में भी महिलाओं की भागीदारी बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि बेटियां समाज की अमूल्य धरोहर हैं। डाॅ0 विनोद जैन ने स्मारिका के बारे में विस्तृत जानकारी दी। धन्यवाद ज्ञापन संरक्षक श्री शिव मंगल जौहरी द्वारा दिया गया।